एमपी नाउ डेस्क
Avoid showing off your knowledge on every subject: 25 मई 2025 दिन रविवार हिंदी के प्रमुख अखबार दैनिक जागरण में अनंत विजय का एक स्तंभ छपा है। इस स्तम्भ का विषय अनंत जी ने सालों पहले कपिल शर्मा के शो में आए फिल्मी कलाकार मनोज बाजपेई, पंकज त्रिपाठी और कवि कुमार विश्वास द्वारा हुई एक बातचीत के संदर्भ में लिखी है।
दरअसल हुआ यूं कि कपिल शर्मा के शो में आए इन फिल्मी कलाकारों के बीच एक दूसरे की सफ़लता का जमकर बखान किया जा रहा था। इसमें कोई ताज्जुब की बात होनी भी नहीं चाहिए कि मंच में बैठे चाहे फिर शो के होस्ट कपिल शर्मा हो या फिर तीनों मेहमान अपने- अपने प्रोफेशन में जमकर नाम कमाया है। लेकिन देखा गया न जब चार लोग मिलते हैं तो उनके अंदर एक बात हमेशा देखी जाएगी एक दूसरे की पीठ खुजाने लगते है।मेरा मतलब कि एक दूसरे की तारीफों के पुल बांधने लगते है।
हुआ भी यू ही एक दूसरे की तारीफ़ करने में इतने आगे निकल गए कि अभिनेता मनोज बाजपेई ने कुमार विश्वास को दिनकर और बच्चन के समकक्ष का कवि बता दिया हालांकि यह बात सालों पहले पुरानी है लेकिन दौरे डिजिटल अब छुपने नहीं देता। सोशल मीडिया के दौर में घूमते फिरते उस घटना का वीडियो अनंत विजय की आंखों से टकरा गया, फिर क्या था उन्होंने उस पूरे बयान का अपने स्तंभ में पोस्टमार्टम कर दिया।
पोस्टमार्टम ऐसे कि अभिनेता मनोज बाजपेई ने अतिश्योक्ति में कुमार विश्वास की तारीफ़ में टिपण्णी में कहा कि हम लोग जब 30 वर्ष के थे तो हमारी पूरी कोशिश थी कि हमारी अंग्रेजी अच्छी हो जाएं लेकिन इस दौरान युवा कवि कुमार विश्वास ने पूरा का पूरा साहित्य पलट डाला। याने कि मनोज बाजपेई ने हिंदी के विकास और लोकप्रियता का श्रेय कुमार विश्वास को दे डाला।
अब इस बयान को खूब तालियां मिली क्योंकि वह कौन ऐसा बैठा था जो इस अतिशयोक्ति कथन की सत्यता को समझने की कोशिश करें। सालों यह बयान सोशल मीडिया में भी तैरता रहा हालांकि यह बयान एक हास्य शो के अंदर दिया गया है तो कोई इसके समर्थन में कहने आ सकता है कि यह तो मज़ाक में कही गई बात हो सकती है।
बात जो भी हो अनंत विजय के स्तंभ लेख में अभिनेता के उक्त बयान की असलियत या यू कहे पोल खोली गई है। वो ऐसे की जब अभिनेता मनोज बाजपेई 30 वर्ष वाली अपनी बात में हिंदी साहित्य को पलटने की बात कर रहे थे, तब तो कुमार विश्वास खुद एक मंचीय और हास्य कवि के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। दूसरा हरिवंश राय बच्चन और दिनकर से तुलना करना भी एक प्रकार से अतिशयोक्ति में कही गई बातें है।
अनंत विजय जी ने अपने स्तंभ के माध्यम से अभिनेता को इस प्रकार बातें करने को लेकर अंदेशा जताया है कि इस प्रकार की टिप्पणियां पीढ़ियों को भ्रमित करती है, जब भी ऐसी बातें कोई सेलिब्रिटी या सफ़ल नेता कहता है। अनंत जी की बातें बिल्कुल ही उपयुक्त है।
अब मैं अपनी बात में आता हूं सालों पहले कही गई बातें इस प्रकार आज सामने आ जाती है क्योंकि यह डिजिटल दौर है। अब आप क्या कह रहे, क्या कर रहे है, क्या देख रहें है सब रिकॉर्ड हो रहा है। एक पूरा दौर बदल चुका है। वह समय बदल गया है, जब आदमी कुछ भी कहकर निकल जाता..कुछ भी कर जाता था। आज आपकी कही गई बातें रिकॉड हो रही है। आपके द्वारा की गई हरकतें रिकॉर्ड हो रही है। आज आप लोगों को झुठला नहीं सकते बरगला नहीं सकते कि मैने तो यह कहा ही नहीं या यह किया ही नहीं। चाहे फ़िर वह बीते दिनों एक नेता का हाइवे में अंतरंग वीडियो हो या फिर एक नेता द्वारा भरी सभा में एक लेडी आर्मी अफसर के ऊपर कहे गए शब्द। कुल- मिलाकर यदि आप सार्वजनिक जीवन में हो तो आपकी जिव्हा और चरित्र दोनों बिल्कुल पाक होने चाहिए। और जिस विषय के बारे में नॉलेज न हो उस विषय में ज्ञान बघारने से बचना चाहिए।
अरविंद साहू (AD) Freelance मनोरंजन एंटरटेनमेंट Content Writer हैं जो विभिन्न अखबारों पत्र पत्रिकाओं वेबसाइट के लिए लिखते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय है, फिल्मी कलाकारों से फिल्मों की बात करते है। एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखन लाल चतुर्वेदी के भोपाल कैम्पस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।
© एडी साहू
0 टिप्पणियाँ